________________ 128] [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / सदशमो विभाग समाव समुत्थे पसमसंवेगाइलिंगे सुहे पायपरिणामे पन्नत्ते, सम्मत्तस्स समणो. वासएणं इमे पंत्र अझ्यारा जाणियमा न समायरियब्बा, तंजहा-संका कंखा वितिगिव्छा परपासंडयमंसा परपासंडसंथवे // सूत्रम् // .... थूलगाणाइवायं समणोवासयो पञ्चक्खाइ, से पाणा.वाएं दुविहे पन्नते, तंजहा-संकप्पयो यारंभयो अ, तत्थ समणोवासयो संकप्पयो जावजीवाए पञ्चक्खाइ, नो प्रारंभो, थूलगगणाइवायवेरमणस्स समणोवासगेणं इमे पंच अइयारा जाणिव्वा, तंजहा-बंधे वहे छविच्छेए इभारे भतपाणवुच्छेए॥१॥ सूत्रम् // थूनगमुमाघायं समणोवास यो पचक्खाइ, से य मुमावाए पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-कन्नालीए गवालीए भोमालीए नालावहारे कूडसंविखज्जे / थूलगमुमागायवेरमणस्त समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणिव्वा, तंनहासहस्स-भक्खाणे रहस्सभक्खाणे सदारमंतभेए मोसुवएसे कूडलेहकरणे // 2 // सूत्रम् // - थूलगअदत्तादाणं समणोवासयो पञ्च खाइ, से अदिन्नादाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सचित्तादत्तादाणे य अचित्तादत्तादाणे याथूलादत्तादाण वेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियब्धा, तंजहा-तेनाहडे तक्करपयोगे विरुद्वरजाइक्कमणे कूडतुलकूडमाणे तप्पडिरूवगववहारे // 3 // सूत्रम् // . परदारगमणं समणोवासयो पञ्चक्खाति सदारणसंतोसं वा पडिवजइ, से य परदारगमणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-योरालियपरदारगमणे वेउब्दिय. परदारगमणे, सदारसंतोसस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियन्वा, तंजहा-अपरिगहियागमणे इत्तरियपरिग्गहियागमणे अणंगकीडा परविवाहकरणे कामभोगतिवाभिलासे // 4 // सूत्रम् // अपरिमियपरिग्गहं समणोवासयो पञ्चवखाइ इच्छापरिमाणं उवसंपन्जइ, से परिग्गहे दुविहे. पन्नत्ते, तंजहा–सचित्तपरिग्गहे य अचित्तपरिग्गहे