________________ 102 ] [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः द्वादशमो विभागः असिपचे धण कुमे, वाल वेयरणी इय / खरस्सरे महाघोसे, एए पन्नरसाहिया // 2 // समयो वेयालीयं उवसग्गपरिण-थीपरिण्णा य ।निरयविभत्ती-वीरत्थओ य कुसीलाण परिहासा // 1 // वीरियधम्मसमाही मग्गसमोसरणं अहतहं गंथो / जमईयं तह गाहासोलसमं होइ अज्झयणं // 2 // पुढविदगअगणिमारुय-वणस्सइबितिचउपणिदिअजीवा / पेहुप्पेहपमज्जण परिट्ठवण मणोवईकाए // 1 // ओरालियं च दिव्वं मणवइकाएण करणजोएणं अणुमोयणकारवणे करणेणऽऽद्वारसाबभं // 1 // उक्खित्तणाए संघाडे अंडे कुम्मे य सेलए / तुबे य रोहिणी मल्ली मागंदी चंदिमा इय // 1 // दावद्दवे उदगणाए मंडुक्के तेयली इय / नंदिफले अवरकंका ओ(मा)यन्ने सुसु पुडरिया // 2 // दवदवचारऽपमज्जिय दुपमज्जिपऽइरित्तसिज्जआसणिए / राइणियपरिभासिय थेरम्भृओवधाई य // 1 // संजलणकोहणो पिढिमंसिएऽभिक्खमोहारी। अहिकरणकरोईरण अकालज्झायकारी या // 2 // ससरक्खपाणिपाए सद्दकरो कलहझंझकारी य / सूरप्पमाणभोती वीसइमे एसणासमिए // 3 // (संगहणी) _एकवीसाए सबलेहि, बावीसाए परीसहेहिं, तेवीसाए सुयगडझयणेहिं, चउवीसाए देवेहिं, पंच(पण)वीसाए भावणाहिं, छब्बीसाए दसाकप्पववहाराणं उद्देसणकालेहिं, सत्तावीसविहे अणगारचरित्ते(गुणे) अट्ठावीसविहे अायारप्पकप्पे, एगणतीसाए पावसुयपसंगेहिं, तीसाए मोहणियाणेहिं, एगतीसाए मिद्धाइगुणेहिं, बत्तीसाए जोगसंगहेहि // सूत्रम् // तं जह उ हत्थकम्मं कुवंते मेहुणं च सेवंते / राई च भुजमाणे आहाकम्मं च भुजते // 1 // तत्तो य रायपिंडं कीयं पामिच्च अभिहडं छेज्जं / भुजंते सबले ऊ पच्चक्खियऽभिक्ख भुजइ य // 2 // छम्मासमंतरओ गणा ठाणं संकर्म करते य / मासम्भंतर तिणि य दगलेवा ऊ करेमाणो // 3 // मासब्भंतरओ वा माइठाणाई तिन्नि करेमाणे / पाणाइवायउट्टि कुचंते मुसं वयंते य // 4 // गिण्हते य अदिण्णं आउट्टि तह अणंतरहियाए / पुढवीय ठाणसेज्जं निसिहियं वावि चेतेइ // 5 // एवं ससिणिडाए ससरक्खाचित्तमंतसिललेलु। कोलावासपइट्ठा कोलगुणा तेसि आवासो // 6 // संडसपाणसवीओ जाव उ संताणए भवे तहियं / ठाणाइ चेयमाणो सबले आउट्टियाए उ // 7 // आउट्टि मूलकंदे पुप्फे य फले बीयहरिए य। मुंजते सबलेए तहेव संवच्छरस्संतो // 8 // दस दगलेवे कुव्वं तह माइट्ठाण दस य वरिस्संतो। आउट्टिय. सीउदगं वग्यारियहत्थमने य // 7 // दवीए भायणेफ ब : दीय(ज्ज)तं भचपाणं घेत्तूणं /