________________ भीमदावश्यकसत्रम् // मध्ययन 1] . [11 पुत्वभव कुलगराणां उसभजिणिदस्स भरहरण्यो / इक्खागकुलुप्पत्ती णेयव्वा आणुपुब्बीए // 1 // (प्रक्षि०) पुव्वभवजम्मनाम, पमाण संघयणमेव संगणं / वरिणस्थियाउ, भागा भवणोवायो य णीई य // 152 // श्रवरविदेहे दो वणिय, वयंसा माइ उज्जुए चेव / कालगया इहभरहे, हत्थी मणुश्रो अ आयाया // 153 // दटुंसिणेहकरणं, गयमारुहणं च नामणिप्फत्ती / परिहाणि गेहि कलहो, सामथण विनवण हत्ति // 154 // पढमित्थ विमलवाहण, चाखुम जसमं चउत्थमभिचंदे / तत्ती श्र पसेणइए, मरुदेवे चेव नाभी य // 155 // णव धणुसया य पढमो, अट्ट य सत्तद्धसत्तमाई च। छच्चेव श्रद्धछट्टा, पंचसया पराणवीसं तु // 156 // वजरिसहसंघयणा, समचउरंसा य हुँति संगणे वराणंपि य वुच्छामि, पत्तेयं जस्स जो श्रासी // 157 // चवखुम जसमं च पसेणइयं एए पियंगुवरणाभा। अभिचंदो ससिगोरो, निम्मलकणगप्पभा सेसा // 158 // चंदजप्तचंदकंता, सुरूव पडिरूव चवखुकंता य / सिरिकता महदेवी, कुलगरपत्तीण नामाइं // 151 // संघयणं संटाणं, उच्चत्तं चेव कुलगरेहिं समं / वराणेण एगवराणा, सव्वायो पियंगुवराणायो // 160 // पलियोवमदसभाए, पढमस्साउं तो असंखिजा / ते श्राणुपुविहीणा, पुत्वा नाभिस्स संखेजा // 161 // जं चेव श्राउयं कुलगराण, तं चेव होइ तासिपि / जं पढम्गस्स श्राउं, तावइयं चेव हथिस्स // 162 // जं जस्स पाउचं खलु, तं दस मागे समं विभइऊणं / मझिलट्ठतिभागे, कुलगरकालं वियाणाहि // 163 // पढमो य कुमारत्ते, भागो चरमो य वुड्डभावंमि / ते पयणुपिजदोसा, सब्वे देवेसु उववरणा // 164 // दो चेव सुवराणेसु, उदहिकुमारेसु हुँति दो चेव / दो दीवकुमारेसु एगो नागेसु उववरणो // 165 // हत्थी छच्चित्थीयों नागकुमारेसु हुँति उववरणा / एगा सिद्धिं पत्ता महदेवी नाभिणो पत्नी // 166 // हकारे मकारे, धिक्कारे चेव दंडनी.