________________ देमभागे 163 // अपत्ताउ तणय छन्भाए कालभायो उच्च ग्रहवा मामीवश्यकस्वम् / अध्ययन " . . निम्म न-दगरयवराणा तुसारगोखीर-हारसरिखना / उत्ताणय-छत्तयसंठिया य भणिया जिणवरेहिं // 161 // एगा जोपणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई / तीसं चेव सहस्सा दो चेव सया अउणवन्ना // 162 // बहुमज्मदेमभागे अट्ठव य जोगणाणि बाहल्लं / चरमंतेसु श्र तणुई अंगुल संखिजईभागं // 163 // गंतूण जोत्रणं जोत्रणं तु परिहाइ अंगुलपुहुत्तं / तीसेवि श्र पेरंता मच्छित्रपत्ताउ तणुश्रयरा / / 16 / / ईसीपभाराए उवरिं खनु जोगणंमि जो कोसो / कोसस्स य छब्भाए सिद्धाणोगाहणा भणिया // 165 // तिनि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य कोसहभायो / जं परमोगाहोऽयं तो ते कोसस्स छब्भाए // 166 // उत्ताणउव्व पासिल्लउच्च अहवा निसन्नयो चे / जो जह करेइ कालं सो तह उववजए सिद्धो॥ 167 // इहभवभिन्नागारो कम्मवसायो भवंतरे होइ / न य तं सिद्धस्स जो तम्मिपि तो सो तयागारो॥ 168 // जं संठाणं तु इहं भवं त्रयंतस्स चरमसमयंमि / श्रानी अ पएसघणं तं संगणं तहिं तस्स // 161 // दीहं वा हस्सं वा जं चरम वे हविज संगणं / तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया // 170 // तिन्नि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य होइ बोद्धव्यो। एसा खनु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया // 171 // चत्तारि श्र रय. गीयो रयणितिभागूणिया य बोद्धब्बा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमयो. गाहणा भणिया॥१७२ // एगा य होइ रयणी अट्ठव य अंगुलाई साहीया। एमा खलु सिद्धाणं जहन्नयोगाहणा भणिया // 173 / / श्रोगाहणाइ सिद्धा भवत्तिभागेण हुँति परिहीणा / संठाणमणित्यंत्थं जरामर. णविषमुकाणं // 17 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ श्रणंतो भवक्खयवि. मुक्का / अन्नुन्नसमोगाढा पुट्ठा सव्वे श्र लोगते // 175 // फुसइ श्रणंते सिद्धे सवपएसेहि निश्रमसो सिद्धो / तेवि असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुटा / / 176 // अतरीरा जीवघणा उवउता.दंसणे नाणे श्र। सागार