________________ 150] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमों विभागः '. जोगिं न पेसेज्जा // 71 // ठवणकुलाणि न साहे सिहाणि न देंति जा विराहगया / परितावण अणुकंपण तिण्हऽसमत्थो भवे खमगो // 72 // . एए चेव हवेजा पडिलोमेणं तु पेसए विहिणा / अविही पेसिज्जते ते चेव तहिं तु पडिलोमं // 141 // सामायारिमगीए जोगमणागाढ खवग पारावे / वेयावच्चे दायणजुयलसमत्थं व सहियं वा // 142 // पंथुचारे उदए ठाणे भिक्खंतरा य वसहीयो / तेणा सावयवाला पञ्चावाया य जाणविही // 143 // . (भा०) सो चेव उ निग्गमणे विहो उ जो वन्निओ उ एगस्स / दव्वे खेत्ते काले भाव पंथं तु पडिलेहे // 73 // कंटग नेणा वाला पडिणीया सावया य दव्वंमि / समविसमउदयथंडिल भिक्खायरि अंतरा खेत्ते // 74 // दियराउपचवाए य जाणई सुगमदुग्गमे काले। भावे सपक्खपरपक्खपेल्लणा निण्हगाइया // 7 // सुत्तत्थं अकरिता भिक्खं काउं अइंति अवररहे / बिइयदिणे सज्झायो पोरिसिश्रद्धाइ संघाडो॥ 144 // खेत्तं तिहा करेत्ता दोमीणे नीणियमि अ वयंति / अराणो लद्धो बहुयो थोवं दे मा य रूसेजा // 145 // अहव ण दोसीणं चित्र जायामो देहि दहि घयं खीरं / खीरे घयगुलपेजा थोवं थोवं च सव्वत्थ // 146 // मज्झरिह पउरभिक्खं परिताविअपिजजूसपयकढियं / योभट्ठमणोभटुं लभइ जं जत्थ पाउग्गं // 147 // चरिमे परितावियपेजजूस पाएस अतरणट्ठाए / एक्केवगसंजुत्तं भत्तटुं एकमेक्कस्स // 148 // योसह भेषजाणि अकालं च कुले य दाणमाईणि / सग्गामे पेहित्ता पेहंति ततो परग्गामे // 141 // चोयगवयणं दीहं पणीयगहणे य नणु भवे दोसा / जुज्जइ तं गुरुपाहुण-गिलाणगट्ठा न दप्पट्टा // 150 // जइ पुण खद्धपणीए अकारणे एकसिपि गिराहेजा / तहिनं दोसा तेण उ अकारणे खद्वनिद्धाई // 151 // एवं-रुइए थंडिल वसही देउलिअसुगणगेहमाईणि / पायोगमऽणुराणवणा वियालणे तस्स परिकहणा // 152 //