________________ फीलदावस्यकार मनपनं 1 ... नामस्स इमायो पयडीयो // 124 // देवगइशाणुपुवी-विउविसंघयण पढमवजाइ / अन्नयरं संठाणं, तित्थयराहारनामं च // 125 // चरमे नाणावरणं पंचविहं दंसणं चउवियप्पं / पंचविहमंतरायं, खवइत्ता केवली होइ // 126 // संभिराणं पासंतो, लोगमलोगं च सव्वश्रो सव्वं / तं नत्थि जं न पासइ, भूयं भवं भविस्सं च // 127 // जिणपवयणउप्पत्ती, पवयणएगट्ठिया विभागो य / दारविही य नयविही, वक्खाणविही य अणुयोगो / 128 // एगट्ठियाणि तिगिण उ, पवयण सुत्तं तहेव श्रत्थो श्र। इकिकस्स य इत्तो, नामा एगट्ठिया पंच // 121 // सुयधम्म तित्थ मग्गो, पावयणं पवयणं च एगट्टा / सुत्तं तंतं गंथो, पातो सत्थं च एगट्ठा // 130 // अणुयोगो य नियोगो, भास विभासा य वत्तियं चेव / अणुयोगस्म उ एए, नामा एगठ्ठिया पंच // 131 // नाम ठपणा दविए, खित्ते काले य वयण भावे य। एसो घणुयोगस्स उणिवखेको होइ सत्तविहो // 132 // वच्छगगोणी 1 खुजा 2, सज्माए 3 चेव बहिरउल्लावो 4 / गामल्लिए 5 य वयणे, सत्तेव य हुँति भावंमि // 133 // सावगमजा 1 सत्तवइए 2 श्र कोंकणगदारए 3 नउले 4 / कमलामेला 5 संबस्स, साहसं 6 सेणिए कोको 7 // 134 // कट्ठ 1 पुत्थे 2 चित्ते 3 सिरिघरिए 4 पुंड 5 देसिए 6 चेव / भासगविभासए वा, वत्तीकरणे थाहरणा // 135 // गोणी चंदणकथा, चेडीयो सावए बहिरगोहे / टंकणयो ववहारो, पडिवक्खो श्रायरियसीसे // 136 // कस्स न होही वेसो अनभुवगो श्र निरुतगारी श्र। अप्पच्छंदमईयो, पट्टिअश्रो गंतुकामो श्र॥ 137 // विणश्रोणएहिं, कयपंजलीहिं छंदमणुअत्तमाणेहिं / पाराहियो गुरुजणो, सुयं बहुविहं लहुँ देइ // 138 / सेलघण कुडग चालणि, परिपूणग हंस महिस मेसे श्र / मसग (1 एतास्तिसो गाथा हारिभद्रवृत्तो नियुजित्वेन मलयगिरिवृत्तो अन्यकर्तृ का दर्शिताः )