________________ श्रीमती औपनियुक्तिः [ 165 सज्झायं // 626 // पुवट्टिो य विहीं इहपि पडिलेहणाइ सो चेव / जं एत्थं नाणत्तं तमहं वुच्छं समासेणं // 627 // पडिलेहगा उ दुविहा भत्तट्ठियएयरा य नायबा / दोगहवि य ाइपडिलेहणा उ मुहणतग सकार्य // 628 // तत्तो गुरू परिना गिलाणसेहाति जे अभतट्ठी / संदिसह पाय मत्ते य अप्पणो पट्टगं चरिमं // 621 // पट्टग मत्तय सयमोग्गहो य गुरुमाइया अणुनवणा / तो सेस पायवत्थे पाउंछणगं च भत्तट्ठी // 630 // जस्स जहा पडिलेहा होइ कया सो तहा पढइ साहू / परियट्टई व पययो करेइ वा अन्नावारं // 631 // चउभागवसेसाए चरिमाए पडिकमिनु कालस्स / उच्चारे पासवणे ठाणे चउवीमई पेहे // 632 // अहियासिया उ घेतो श्रासन्ने मज्झि तह य दूरे य / तिन्नेव अणहियासी अंतो छच्छच्च बाहिरयो // 633 // एमेव य पासवणे बारस चउवीसई तु पेहित्ता / कालस्सवि तिन्नि भवे ग्रह सूरो अस्थमुवयाई // 634 // जइ पुण निव्वाचायों श्रावासं तो करेंति सव्वेवि / सड्डाइकहणवाघायताएँ पच्छा गुरू ठति // 634 // सेसा उ जहासत्ती बापुच्चित्ताण ठंति सट्ठाणे / सुत्तत्यझरणहेउं थायरिए ठियं मे देव सियं // 636 // जो होज उ असमत्थो बालो बुढो गिलाण परितंतो। सो आवम्सगजुत्तो अच्छेजा निजरापेही // 637 / / श्रावासगं तु काउं जिगोव(जिणवर)दिटुंगुरूवएसेणं / तिनि थुई पडिलेहा कालस्प विही इमो तत्थ // 638 // दुविहो य होइ कालो वाघातिम एयरो य नायबो / वाघायो घंघसालाए घट्टणं सडकहणं वा // 636 // वाघाते तइयो सिं दिजइ तस्सेव ते निवेयंति / निव्वाघाते दुनि उ पुछती काल घेच्छामो // 640 // श्रापुच्छण किइकम्मं श्रावस्सिय-खलिय पडियवाघायो / इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं चेव // 641 // जइ पुण वच्चंताणं छीयं जोइं च तो नियत्तंति। निव्याघाते दोनि उ अच्छति दिसा निरिक्खंता // 642 // गोणादि कालभूमीए होज संसप्पगा व उटे जा / कविहसिय