________________ श्रीमदावश्यकस्त्रम् अन्पयन 5 ] . . . // अथ पञ्चमं कायोत्सर्गाध्ययनम // श्रालोयण पडिकमणे मीस विवेगे तहा विउस्सगे / तव छेय मूल श्रणवठ्ठया य पारंचिए चेव // 1432 // दुविहो कायंमि वणो तदुभवा. गंतुश्रो अणाययो / आगंतुयस्स कारइ सल्लुद्धरणं न इयरस्स // 33 // तणुश्रो अतिक्खतुंडो असोणियो केवलं तए (या) लग्गो / उद्धरिउं श्रवउज्झत्ति सल्लो न मलिजइ वणो उ॥ 34 // लग्गुद्धियंमि बीए मलिजइ परं अदूरगे सल्ले / उद्धरणमलणपूरण दूरयरगए तइयगंमि // 35 // मा वेत्रणा उ तो उद्धरित्तु गालंति सोणिय चउत्थे / रुज्मइ लहुँति चिट्ठा वारिजइ पंचमे वणिणो // 36 // रोहेइ वणं छ8 हियमियभोई अभुजमाणो वा / तित्तिमित्तं छिजइ सत्तमए पूइमंसाई // 37 // तहविय अठायमाणो गोणसखइयाइ रुप्फए वावि / कीरइ तयंगछेयो सट्ठियो सेसरक्खट्ठा // 1438 // मूलुत्तरगुणरूवस्स ताइणो परमचरणपुरिसस्स / अवराहसल्लपभनो भाववणो होइ नायब्बो // 1 // (प्र०) ___ भिक्खायरियाई सुज्झइ श्रइयारो कोइ वियडणाए उ / बीयो थसमित्रोमित्ति कीस सहसा अगुत्तो वा ? // 1436 // सदाइएसु रागं दोसं च मणां गयो तइयगंमि / नाउं अणेसणिज्जं भत्ताइविगिचण चउत्थे // 1440 // उस्सग्गेणवि सुज्झइ अइशारो कोइ कोइ उ तवेणं / तेणवि असुज्झमाणं छेयविसेसा विसोहिति // 41 // निक्खेवेगट्ठ विहाणमग्गणा कालभेयपरिमाणे / असढसढे विहि दोसा कस्सत्ति फलं च दाराई // 1442 // (भा०) काए उस्सग्गंमि य निक्खेबे हुति दुन्नि उ विगप्पा। एएसिं दुण्हंपी पत्तेय परूवणं वुच्छं // 28 // कायस्स उ निक्खेवो बारसो छक्को श्र उस्सग्गे। एएसि तु पयाणं पत्तेय परुवणं वुच्छं // 1443 // नाम ठवणमरीरे गई निकायत्थिकाय दविए य / माउय संगह. पजव भारे तह भावकाए य // 44 // कायो