________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमाना गहभादेव तेणं दो तिगिण बहू जह समाही // 201 // वसहिदारं // दुविहो य विहरियाविहरियो उ भयणा उ विहरिए होइ / संदिट्टो जो विहरितो अविहरिअविही इमो होइ / / 210 // (भा०) अविहरि विहरिओ वा जह सड्डो नत्थि नस्थि उ निभोगो / ना? जह ओरुष्णा पविसति तओ य पण्णरस // 15 // संविग्गमणुण्णाए अईति अहवा कुले विरंति / अण्णाउछ व सहू एमेव य संजईवग्गे॥ 13 // एवं तु अपगसंभोइयाण संभोइयाण ते चेव / जाणित्ता निबंधं वत्थ वेणं स उ पमाणं // 97 // असइ वसहोए वोसु राइणि? वसहि भोयगागम्म / असहू अपरिगया वा ताहे वीसुसहू वियर // 98 // तिण्हं एक्केण सम भत्तट्ठो अप्पणो अवड्डतु। पच्छा इयरेण समं आगमगविरेगु सो चेव // 99 // चेइअवंदण निमंतण गुरुहं संदिढ जो घासंदिता / निबंध जोगगहणं निवेय नयगं गुरुसगासे // 1.0 // अविहरिअमसंदिहो चेइय प.हुडि नमत्त गेण्हंति / पाउग्गपउरलंभे नऽम्हे किं वा न भुजंति ? // 101 // गच्छस्स परीमाणं ना घेत्तु तओ निवेयंति / गुरुसंघाडग इयो ल ई नेयं गुरुसमावं // 102 // (मा वञ्चह गिह गुरुजागं / एवइम वा गिण्हह पजत्तं वा नियतह य भी। अणिवेइए अ गुरुणो हिडताणं इमे दोसा // 15 // दरहिंडिय वुडढाई आगंतु समुदिस्संति किचि / दवविरुद्धं च कयं गुरूहि जंकिंचि वा भुत्तं // 16 // प्र०) एगागिसमुद्दिसगा भुत्ता उ पहेणएण दितो। हिंडणदव्ववि. णासो नि महुरं च पुव्वं तु // 103 // भत्तद्वित्र श्रावस्सग सोहेउं तो अइंति अवरगहे / अभुट्टाणं दंडाइयाण गहणेकवयणेणं // 211 // खुडुलविगट्ठतेणा उगहं अवरसिह तेण उ पएवि / पक्खित्तं मोत्तूणं निक्खिवमुविखत्तमोहेणं // 212 // श्रप्पा मूलगुणेसु विराहणा अप्प उत्तरगुणेसु। अप्पा पासस्थाइसु दाणग्गहसंपयोगोहा // 213 // भुजह भुत्ता अम्हे जो वा इच्छे अभुत्त सह भोज्ज / सव्वं च तेसि दाउं अन्नं गेराहंति वत्थव्वा // 214 // तिरािण दिणे पाहुन्नं सव्वेसिं असइ बालवुड्डाणं / जे तरुणा सग्गामे वत्थमा