________________ सामावविखत्ते उपाहा हजाईणं सो विद्यालय पुन्छेइ( उन्सि) [ भीमदागननुपासिन्दामोनिया ववगयमोहा समणा मोहन्छण्णसं छत्तयं होउ। श्रणुवाहणा य समणा मज्मं तु उवाहणा होन्तु // 356 // सुक्कंबरा य समणा निरंबरा मज्म धाउरत्ताई / हुँतु इमे वत्थाई अरिहो मि कसायकलुसमई // 357 // वज्जंतवज्जभीरु बहुजीवसमाउलं जलारंभं / होउ मम परिमिएणं जलेण राहाणं च पित्रणं च // 358 // एवं सो रहअमई निगमइविगप्पियं इमं लिंगं / तद्धितहेउसुजुत्तं पारिवज्ज पवत्तेइ (परिवज्ज तश्रो कासी) // 351 // यह तं पागडरूवं दट्ठ पुच्छेइ( उच्छिसु ) बहुजणो धम्मं / कहइ जईणं तो(सुजईणं) सो विधालणे तस्स परिकहणा // 36 // धम्मकहाविखत्ते उवट्ठिए देइ भगवो सीसे। गामनगराइयाई विहरइ सो सामिणा सद्धिं // 361 // समुसरण भत्त उग्गह अंगुलि भय सक सावया अहिश्रा / जेया वड्डइ कागिणिलंबण अणुसज्जणा अट्ठ // 362 // राया प्राइचजसो महाजसे अबले अबलभद्दे / बलविरिए कत्तविरिए जलविरिए दंडविरिए य // 363 // एएहिं श्रद्धभरहं सयलं भुत्तं सिरेण धरियो श्र / पवरो जिणिंदमउडो सेसेहिं न चाइयो वोढ॥ 364 // अस्सावगपडिसेहो छटे छठे थ मासि अणुयोगो / वालेण य मिच्छत्तं जिणंतरे साहुवो छेश्रो // 365 // दाणं च माहणाणं वेए कांसी अ पुच्छ निवाणं / कुडा थूम जिणहरे कविलो भरहस्त दिवसा य // 366 // पुणरवि श्र समोसरणे पुच्छीन जिणं तु (पुच्छी अजिणे अ) चकियो भरहे / अप्युटो अदसारे तित्थयरो को इहं भरहे ? // 367 // जिणचकिदसाराणं वरणपमाणाई नामगोत्ताई। श्राऊपुरमाइपियरो परियाय गई च साहीत्र // 368 // (भा०) जारिसया लोअगुरू भरहे वासंमि केवलो तुम्भे। एरिसया कइ अन्ने ताया ! होहिंति तित्थयरा ? // 38 // यह भणइ जिणवरिंदो भरहे वासंमि जारिसो श्रयं / एरिसया