Book Title: Setubandha
Author(s): Krishnakant Handiqui
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 674
________________ NOTES - CANTO XI I81 MY has lajjaaa for lajjagaa (लज्जागत). He says lajjaama इति पाठे लज्जागमात् etc. This reading is found in Kula who also says स्वेदबिन्दुकीर्यमाणमुखः (cf. K and SC), i.e., °bindu-ijjanta° for bindujjanta = बिन्दूयमान (R). Kula says प्राकारान्तरिते प्राकारबहिर्देशे निष्प्रभः. sc says प्राकाराद् बहिः प्रतापशून्य इत्यर्थः. 126. K and Kula read रघुपतिः for-suo (R). K reads मोचित . (mota) for muilia = मुकुलित (?) R, मृदूकृत Kula. K and MY read आक्षिप्त for ukkhitta = उत्क्षिप्त (R and Kula). ___MY reads moihii = मोचयिष्यति for mocchihi (R) = मोक्ष्यति. The reading of K and Kula is not clear, but they also say मोक्ष्यति. SC Text has mocchihi. ___MY says केशाग्रस्पर्शरसजनितवेपथुभिरङ्गुलिभिः आक्षिप्ताः समाकृष्टाः व्याकुलीभवन्तश्च विषमभागा यथा स्युस्तथा । मोचनदशायां वेण्या विशेषणमेतत्. MY seems to read vevia for vevanta = वेपमान (R, K and Kula). ___K says अचिरात् रावणे हते रघुपतिस्ते वेणी मोक्ष्यति चोद्वेष्टयति च । कथंभूताम् – स्पर्शसंभवेन स्वेदेन आर्दीभवता हस्ताग्रेण मोचितकेशां, स्पर्शरसात् वेपमानाभिरगुलिभिः आक्षिप्ता आकृष्टा गुप्यन्तो व्याकुलीभवन्तः विषमभागा यथा भवन्ति तथा भूतां मोक्ष्यति. R says वेपमानाभिरगुलोभिरुत्क्षिप्ताः समीकृता विषमभागा यस्याः । प्रोषितो भर्ता समागत्य प्राकृतं विरहिण्या वेणीबन्धं मोचयतीति भावः. 127. K, MY and Kula read 87f9 (vi) for 37 (R) in the second line. K and MY read प्रतापे for sahave = स्वभावे (R and Kula). ___MY says ea karantassa एवं कुर्वतः (K and Kula also) । tume त्वयि त्वया वा । जीवत्यपि रामे लज्जां विहाय छलमेवं कुर्वतो रावणस्य प्रभाव परिवृत्ते तथा दूये न तथा त्वयि एवमवस्थायामपीत्यर्थः. Kula says न तथा त्वयापि' दुःस्थितया. K says विगलितलज्जत्वात् लघु अतिक्षुद्रमेवं कुर्वतः. 1 our copy has तथापि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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