Book Title: Setubandha
Author(s): Krishnakant Handiqui
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 711
________________ 218 SETUBANDHA : नियमात् । यद्वा हलहलशब्दो युद्धोत्कण्ठायां देशी । युद्धोत्कण्ठया मुखर इत्यर्थः. Kula says अविसर्जितनिष्क्रान्ते आदेशं विना निर्गते निजकबले. ...... ____87. K says रणाय त्वरितं युक्ता अश्वैर्युक्ता युज्यमानश्च रथा यत्र तत्. MY says रणत्वरित रथिभिर्युक्त - युज्यमानरथमिति. K (chaya) has संनद्धसंनह्यमानभटं .... घटितघटमानगजघट. R has घदयमान. Kula has. घरमान. 88. K (chaya) has सत्यापित for saccavia. K (comm.) says रथगतैर्लक्षीकृतसुग्रीवलक्ष्मणम्. K (chaya) has भूमिगतपरीयमाणवानरं निरेति बलम्. K (comm.) says पदातिभिः परीयमाणशेषवानरसैन्यं भूत्वा निर्ययो. K seems to read bhūmi-gaa-parintar-vānaram for bhūma-gaa-varia-kai. balam (R). For parinta see notes on 9.88. Here it is passive. Cf. forms like bharanta (भ्रियमाण) 8.53, purenta (पूर्यमाण) 11.63 ete. R says रथगतैः सत्यापितावेताभ्यां सहास्माभिः योद्धव्यमिति स्थिरीकृतौ सौमित्रिप्लवगपती यत्र. sc says सत्यापितौ स्वीकृती. ... MY says varia वृत प्रार्थितेति यावत् । saccavia लक्षित अन्विष्टेति यावत् । virikka शून्यीकृत. MY seems to read bhumi-gaa-virikkaDanaram. He says भूमिगतैः पत्तिमात्रैः विरिक्ता अपक्रान्ताः शेषवानरा यस्य तत्तथा. Kula says भूमिगतैः वियुक्ताः (विविक्ताः SC) पृथक्कृता एकैकशो बृता (SC also) वानरा यत्र तत् बलं (i.e. राक्षसबल) निर्याति. His reading might be bhumi-gaa-vivikka-vanaram. . 89. K and Kula read भ्रमति for valai (R). Kula says. भ्रमति इतस्ततो याति. K (chaya) has, अघटमानैकमुखनिगमं, but comm. says. भवनान्तरेषु व्याकुलीभवत् एवमयमानैकमुखनिर्गमं बलं भ्रमति स्म एकेनैव गोपुरमुखेन युगपन्निर्गमेन भ्राम्यति स्म. His reading seems to be aamana for aghadenta = अघटमान (R and Kula). R on 6.26 translates ainta as, अयमान (गच्छत् ), but that does not suit the metre here. Unless it - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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