Book Title: Setubandha
Author(s): Krishnakant Handiqui
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 687
________________ 194 SETUBANDHA विकीर्णोऽपि मांसल एव गन्धो भवतीत्यर्थः. K says संचालितेन मधुरसेन मधुरो गन्धः . SC Text has masalo for mamsalo. 21. K reads बाष्पबिन्दं for baha-tthavaam == बाष्पस्तबकं (R). See 15.43 below. Kula has बाष्पबिम्ब, which seems to be a mistake for 'बिन्दुं. cf. 5.62; 14.75, 15.43. K says शोकात् मुक्तबाष्पबिन्दु कामिनीसाथ गमनार्थमावृच्छमानानां राक्षसभटॉनां यदेवोपगूहनसौख्यमभूत् तदेव तेषां निष्पश्चिमं पश्चिमरहितमुपगृहनसौख्यं जातम्. ... Kula says विरहखेदात् मुक्तबाष्पबिम्बं कामिनीसार्थमापृच्छमानानां प्रभाते गमनानुज्ञां प्रार्थयमानानां राक्षसभटानां यदेवोपगृहनसौख्यं जातं तदेव निष्पश्चिमं पश्चाद्भाविशून्यम् 'उपगूहनसौख्यं जातम्. 22. K and Kula read प्राप्त for laddha (R). K says समरमात्रेण अन्तरितसीतासङ्गमसुखः, दशमुखवैरस्य दशमुखेन कृतस्यापकारस्य प्रतिमोचनाय (R also) प्रत्यपकारार्थमागतदिवसः, प्राप्तामर्षावसरः प्राप्तः अमर्षमोक्षस्य अवसरो यस्य स राघवः अलब्धनिद्रोऽपि प्रतिबुद्धः युद्धाय उद्युक्तः. . . MY says समरमात्रेव्यवहितदेवीसमागमसुखो, दशमुखवैरनिर्यातनार्थागतदिवसो, विरहादनिद्राणो विप्रतिबुद्धः शयनोत्थानादि कर्म कृतवानित्यर्थः. Kula says दशमुखवैरस्य प्रतिमोचनायां गतं हृदयं यस्य........ विबुद्धः शयनादुत्थितः. It will be seen that Kula reads gaa-hlao for (ayaa-diaho (आगतदिवसः). R says दशमुखे यद्वैरं तत्प्रतिमोचनाय आगती - दिवसो यस्य, Ms. C of Goldschmidt seems to have padim. oana for °mulicana found in SC Text. R takes it as °mulncana. 1sc has स्तबक, but the ms. reading of SC Text is -tthevam which points to विन्दु. See notes on 1.48. 2 our copy has अपरगूह... 3 Our copy has प्रतिलोचनायां. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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