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सारनाथ लघु स्तम्भ लेख
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10. उवत विवासयाथ तुफे एतेन वियंजनेन हेमेव सवेसु कोट
विषवेसु एतेन। 11. वियंजनेन विवासापयाथा 1. देवों (के प्रिय).... 2. . . . . . 3. पाटलिपुत्र, किसी के द्वारा संघ में भेद के लिए। जो कोई भी 4. भिक्षु या भिक्षुणी संघ को भंग करेगा वह श्वेत वस्त्र पहनाकर अयोग्य स्थान
पर बसाया जायगा। यह आज्ञा भिक्षु संघ और भिक्षुणी संघ में विज्ञप्त होनी चाहिए। इस प्रकार देवों के प्रिय ने कहा-ऐसी एक प्रति आप लोगों के पास संस्मरण के लिए सभा-चौपाल में रखी रहे।
और एक प्रति इसी प्रकार उपासकों के पास रखी जाए और वे भी उपवास के लिए आएँ। इसी शासन में विश्वास के लिए उपवास के दिन अवश्य ही एक-एक महामात्र उपवास के लिए आवें। इसी शासन (आज्ञा) में विश्वास के लिए और जानने के लिए और
जितना आप लोगों का आहार (कर्मक्षेत्र) है, 10. सब दूर भेजें-इस शासन में लिखे अनुसार। इसी प्रकार समस्त कोट्टों (दुर्गों-नगरों)
और विषयों (प्रान्तों) में इसे 11. अक्षरशः भेजिये।
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