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मिनांडर का शिनकोट (बाजौर) शैल खड़ी पेटिका-लेख
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समूह-2
(स) (1) विजयमित्र ने (2) पात्र प्रतिष्ठित करवाया।
(1) यह शरीर नष्ट हो गया परन्तु (उसका) सत्कारों से आदर नहीं हुआ। सो
(अधिक) काल (व्यतीत होने) से नष्ट होता जा रहा है। सो पितर न तो श्राद्ध एवं न हि पिण्डोदक (तर्पण) ग्रहण करते (अथवा पितरों के लिये
श्राद्ध एवं पिण्डोदक की व्यवस्था नहीं हो पाती) (2) उसका यह पात्र पांचवें वर्ष के वैशाख मास के पच्चीसवें दिन पुनः (3) अप्रत्यग्राज (अनादि-अजन्मा) विजयमित्र ने सम्यक् सम्बुद्ध भगवान् शाक्यमुनि का (भस्मावशिष्ट) शरीर यहां (इस नये पात्र में) प्रतिष्ठित करवाया।
(इ) आज्ञाकारी विश्विल ने (यह लेख) लिखा।
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