________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
52
प्राचीन भारतीय अभिलेख
(ग) 1. महारजस्य क( निष्कस्य) सं 3 है 3 दि 20 (2) 2. एतये पूर्वये भिक्षुकस्य बलस्य त्रेपिट( कस्य) 3. बोधिसत्वो छत्रय( ष्टि) च (प्रतिष्ठापितो) (॥)
(क) 1. महाराज कनिष्क के (द्वारा प्रवृत्त) संवत् 3 (81 ई0) के हेमन्त 3 (माघ)
के 22वें दिन
इस पूर्वोक्त तिथि को महापुण्यशाली भिक्षुओं के . 3. सतीर्थ (सहपाठी) भिक्षु, त्रिपिटक के ज्ञाता बल की (प्रतिमा) 4. बोधिसत्व तथा छत्रयष्टि (छत्रदण्ड) स्थापित किये गये।
वाराणसी में, जहां भगवान् टहलते थे (गन्धकुटी विहार के अलिन्द में) माता पिता के साथ उपाध्याय-आचार्यों के साथ, विहारियों के साथ शिष्यों के साथ, त्रिपिटकज्ञा बुद्धमित्रा के साथ क्षत्रप वनस्पर खरपल्लान के साथ
और चारों परिषदों (भिक्षु, भिक्षुणी, उपासक तथा उपासिका) के साथ सारे प्राणियों के हित-सुख के लिये।
(ख) 1. त्रिपिटकवेत्ता भिक्षु बल का बोधिसत्व स्थापित किया गया। 2. क्षत्रप वनस्पर के साथ, महाक्षत्रप खरपल्लान के द्वारा।
1.
2. 3.
महाराज कनिष्क के (द्वारा प्रवृत्त) संवत् 3 (81 ई0) के हेमन्त 3 (माघ के) 22वें दिन इस पूर्वा (तिथि) को त्रिपिटक के वेत्ता भिक्षु बल के (लिये) बोधिसत्त्व एवं छत्रयष्टि स्थापित किये गये।
For Private And Personal Use Only