Book Title: Prachin Bharatiya Abhilekh
Author(s): Bhagwatilal Rajpurohit
Publisher: Shivalik Prakashan

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Page 361
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दानुक्रमणिका 365 श्रीमतीमहादेवी, 193 श्रीमहासेनगुप्त, 191 श्रीमाधवगुप्त, 191 श्रीमान्, 192 श्रीमाल, 213 श्रीयशोधर्मा, 146, 152, 264 श्रीयशोमती. 167, 168 श्रीयशोवर्धन, 183 श्रीराज्यवर्धन, 167 श्रीरामपाल, 315 श्रीलंका, 3,8 श्रीवप्यट, 238 श्रीवाक्पति (पुत्र), 260 श्रीवामराजदेव, 194 श्रीविजयगुप्त, 190 श्रीविन्ध्यशक्ति, 83 श्रीवैद्यनाथ, 283 श्रीवैरीसिंह, 296 श्रीशङ्करगणदेव, 194 श्रीशान्तमूल, 80 श्रीशीलुक, 184 श्रीस्तन, 71 श्रीसमुद्रगुप्त, 92, 94, 105 श्रीसर्वसेन, 83 श्रीसातकर्णि, 72 श्रीसिन्धुराज, 296 श्रीसामन्त, 214 श्रीसीयक, 296 श्रीसोम, 76 श्रीहर्ष, 168, 168, 209, 261, 296 श्रीहर्षगुप्तदेव, 190, 192 श्रीत्रिपुरी, 286 श्रेष्ठगिरि, 71 स स्रवणी, 184 स्कन्दगुप्त, 65, 112, 120, 169 स्कन्दसागर, 80 स्कन्दश्री, 80 स्थालीकट, 241 स्थिरानन्द, 285 स्वामिदत्त, 90 स्वामिदास,9 स्वामिपल्लवराज, 90 सङ्गम, 286 सज्जाहली, 281 सजित, 48 सत्याश्रय, 178 सतलज, 91 सतियपुत्र, 12 सदाशिव 282 सनकानिक,91 समतट, 90 समलिपद,74 समारण, 241 समुद्रगुप्त, 89,92, 119 सरिवल्लिका, 231 सर्वे वेस्टर्न इण्डिया, 40 सहय, 71 सांचि, 91 सातवाहन, 71 सामन्तसेन, 305 सामलिपद्र, 74 सामलिपद्र देविलेन, 74 साबरमती, 66 सामी, । साविकूवारक, 230 For Private And Personal Use Only

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