Book Title: Prachin Bharatiya Abhilekh
Author(s): Bhagwatilal Rajpurohit
Publisher: Shivalik Prakashan

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Page 359
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दानुक्रमणिका 363 वज्रटस्वामी, 296 वज्रिणीदेवी, 167 वटपद्रक, 290 वडडमुख, 230 वत्स, 249 वत्सगुलम, 83 वत्सराज 232, 248 वन,71 वनवासी, 176 वनस्पर, 52 वनस्पर खरपल्लान, 52 वरदा (वर्धा), 176 वररुचि,7 वल्ल, 184 वल्लभराज, 210, 212 वल्लमण्डल, 184 वसिष्ठीपुत्र, 80 वसुरात, 5 वाक्यपतिराजदेव, 290, 296 वाक्यपदीय,5 वाकणकर ल0 श्री0, 3 वाकणकर शोध, 9 वाकाटकवंश, 83 वाकाटकों, 105 वार्णासा, 58 वातापि (बदामी), 174 वामन, 317 वाराणसी, 52 वाराहीपुत्र, 59 वारेन्द्रक, 309 वासिष्क, 53 वासिष्कपुत्र, 56 वासिष्ठीपुत्र, 70,74 वासुदेव, 33 वासुदेवभट्ट, 213 वासुल, 141, 153 विक्रमादित्य, 8 विजयमित्र, 30, 31 विजयशक्ति, 260 विजयसेन, 306 विटकालि खाटकयानिका, 240 विटि, 241 विदर्भ, 71, 248 विदिशा उदयागिरि, 99, 265 विध्यार्य, 83 विन्ध्य, 66, 71, 226 विनशन, 66 विनायक पालदेव, 265 विभीषण, 140 विभीषणवर्द्धन, 140, 141 विमानपुर, 286 विरपुरुषदत्त, 80 विरीवल, 31 विल्लार्ध स्रोतिका, 240 विलासिनी, 65, 115 विवुमविविद्यालय,9 विशाखापटनम, 90 विष्णवार्य, 83 विष्णु, 84 विष्णुगोप, 90 विष्णुभट, 230 विष्णुवर्धन, 146 विष्णुपद पर्वत, 97 विष्णुरवि, 185 विष्णुपाल स्वामी, 74 वीडा, 281 For Private And Personal Use Only

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