Book Title: Prachin Bharatiya Abhilekh
Author(s): Bhagwatilal Rajpurohit
Publisher: Shivalik Prakashan

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Page 357
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दानुक्रमणिका 361 मयूर, 184 मरु (मारवाड़), 66 मलय, 71, 278, 297 मलाया, 8 महणदेव, 315 महन्ताप्रताश, 240 महातलार, 80 महामेघवाहन, 36 महाराष्ट्र, 177 महेन्द्र, 71,90 महेन्द्रगिरि, 90 महेन्द्रविभू, 212 मागध, 20 मार्गपति, 199 माठरीपुत्र श्री वीरपुरुषदत्त, 80 माण्डव्यपुर, 183 माढाशाम्मली, 241 मातृचेट, 156 मातृदास, 156 मातृविष्णु, 133 माधव, 135, 265 माधुमतेय, 282 मान्धाता, 224 मान्यखेट, 230 मालव, 58, 90, 91, 127, 177, 211, 249, 265 मालवगण, 76, 149 मालवा, 66, 225, 261 मालाद, 199 माहाकान्तर, 90 मिथिला, 261 मिहिर, 249 मिहिरकुल, 152, 156 मिहिरवर्मा, 164 मिश्र, 1 मिश्री, 1 मीनेन्द्र, 30 मुग्धख, 278 मुण्डीर, 297 मुण्डीरपत्तन, 297 मुद्गगिरि (मुंगेर) 184 मूलक, 71 मेड़ता, 183 मेडन्तकपुर, 183 मेधावी, 74, 284 मोखरि बलपुत्र बलवर्धन, 78 मोखरि बलपुत्र बलसिंह, 78 मोखरि बलपुत्र सोमवेद, 78 मौर्य, 176 मौर्यराजा चन्द्रगुप्त, 65 मंगलेश, 175 य यदु, 239 यमुनानदी, 265 यवन, 16, 239 यवनानि लिपि, 2 यशोदेवी, 306 यशोवर्मदेव, 199, 259 यशोवर्माराज, 261 युवराजदेव, 281, 284 येल्लमञ्चिलित,90 यौधेयो, 66, 91 रघुवंश, 92 रजिल्ल, 183 रजोट, 242 For Private And Personal Use Only

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