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मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति
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विज्ञ ने बलवानों को बांधकर निस्पंद कर दिया। (क्षत्रियों के लिए समुचित प्रणाली पर जिसने 'बलिप्रबन्ध' रचा। शत्रुओं का आश्रय लेकर स्पष्ट ही नीच भाव से सम्पन्न चक्रायुध को जीतकर जो अपने विनय नम्र शरीर से शोभित हुआ। 9
शक्तिशाली शत्रु के श्रेष्ठ हाथी, घोड़ों तथा यानों के समूह के एकत्र __ होने से घनघोर अंधकार छा गया। उस बंगदेश के स्वामी को जीतकर वह
उदित होते सूर्य सा तीनों लोकों को विकसित करने वाला हुआ। 10 आनर्त, मालव, किरात, तुरुष्क, वत्स, मत्स्य आदि राजाओं के पर्वत दुर्गों का जिसने बलपूर्वक अपहरण से, जिस सर्व हित कर वृत्ति वाले का कुमार काल से ही सुलभ अतीन्द्रिय आत्मवैभव पृथ्वी पर प्रकट हो गया। 11
उसके पुत्र का नाम रामभद्र था। 9. सेना के श्रेष्ठ अश्वबल से नृपों को घेरकर बलपूर्वक उद्धत तथा क्रूरवृत्ति
के नृपों को बन्दी बनाते हुए पापाचार रूपी बाधा के विनाश में लीन, कीर्ति रूपी पत्रियों का साथी, तथा धर्म का संरक्षक, अपने विभिन्न समुचित चरित्रों से वह (अपने पूर्वज के समान) शोभित हुआ। 12
अद्वितीय साधन सम्पन्न उसका प्रताप दिशाओं तक पहुंच गया। 10. चारों उपायों से उस स्वामी ने सम्पदाओं का सलज्ज उपभोग किया। 13
अर्थी जनों के लिये विहित सम्पदाओं का जन्म उस कृती की प्रीति के लिये हुआ, अपनी इच्छा की पूर्ति के लिये नहीं। 14 जागतिक इच्छाओं से मुक्त, विशुद्ध मन से युक्त, प्रजापतित्वको सम्पन्न करने की इच्छा वाले उस नृप ने रहस्यमय व्रत से प्रसन्न हुए सूर्य (की कृपा) से मिहिर नामक पुत्र प्राप्त किया। 15 अगस्त्य के द्वारा बाधा डालकर रोकी हुई विन्ध्य की वृद्धि को (आक्रमण से) पार कर भूभृत् (पर्वत अथवा नृप) का भोक्ता होने से वह राजा भोज भी कहलाया। 16 वह यशस्वी, संतोषी, जगत् के अहित के विनाश में चतुर, राजलक्ष्मी के द्वारा आलिंगित है परन्तु मद के कलंक से अछूता है। गुणवान् जनों की सत्यवाणी से प्रशंसा पा कर वह प्रेमपूर्ण हो गया।
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