Book Title: Prachin Bharatiya Abhilekh
Author(s): Bhagwatilal Rajpurohit
Publisher: Shivalik Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शब्दानुक्रमणिका
357
ध्रुवभूति, 92 ध्रुवराज, 211, 212
दुर्लभपुर, 286 देवकी, 120 देवगुप्त, 97 देवपाल, 264 देवपुत्र कृषाण, 49 देवरक्षित, 315 देवराज, 101,248 देवराष्ट्र, 90 देविकासीमा, 240 देश्वार्य, 83 दोषकुम्भ, 148
ध धङ्गटपाटक, 281 धन्नवल्लिका, 231 धन्यविष्णु, 133 धनदेव,46 धनध्य, 90 धर्म, 309 धर्मदोष, 148 धर्मदेव बिहार, 53 धर्मपाल, 225, 238, 239 धर्मपालदेव, 240 धर्मशम्भु, 282 धर्मा, 48 धर्मायोजोटिका, 241 धर्माशोक, 317 धरणीवराह, 297 धारणगोत्र, 105 धारा, 296 धारावर्ष, 212, 224 धिक्कोरवंश, 314 धीर, 286 ध्रुवदेवी, 119
नन्दग्राम, 231 नन्दावल, 184 नन्दी, 90 नन्दिवर्धन, 48, 105 नन्नुक, 260 नर्मदा, 5, 177, 226 नरभट, 183 नरसिंहदीक्षित, 230 नरसिंहपुर, 91 नलचर्मट, 240 नवजाय, 49 नवमण्डल, 185 नहपान, 58,61 नओ गोङ्ग, 90 नागदत्त, 90 नागपुर, 105 नागबल, 281 नागभट्ट, 183, 225, 248 नागरी लिपि, 4 नागसेन, 89 नादर्धन, 105 नान्दीकट (नान्डेन), 83 नान्देड,71 नाभक, 16 नाभपंक्ति, 16 नामुण्डिका, 240 नाराणभट्टारक, 242 निजामाबाद, 71 निर्दोष, 148 निपानीय, 281
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370