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मिहिरकुल का ग्वालियर शिलालेख
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5. (पतौ) (निर्मले भाति (॥) 6
द्विज-गण-मुख्यैरभिसंस्तुते च पुण्याह-नाद-घोषेण (1) तिथि-नक्षत्र-मुहूर्ते संप्राप्ते सुप्रशस्त- (दिने) (1)7 मातृतुलस्य तु पौत्रः पुत्रश्च तथैव मातृदासस्य (।) नाम्ना च मातृचेटः पद्ध(त-दुर्ग XIनु) वास्तव्यः (1) 8 नानाधातु-विचित्रे गोपाह्वय-नाम्नि भूधरे रम्ये (।) कारितवान्शैलमयं भानोः प्रासाद-वर-मुख्यम् (॥)9 पुण्याभिवृद्धिहेतोर्मातापित्रोस्तथात्मनश्चैव (।) वसता (') च गिरिवरे( 5 )स्मि(न्) राज्ञः xxx (पा?) देन (॥) 10 ये कारयन्ति भानोश्चन्द्रांशु-सम-प्रभं गृह-प्रवरं रम् ) (1) तेषां वासः स्वर्गे यावत्कल्प-क्षयो भवति॥॥भक्त्या रवेविरचितं सद्धर्म-ख्यापनं सुकीर्तिमयं (यम्) (।) नाम्ना च केशवेति प्रथितेन च । xxx (दि?) त्येन (1) 12 यावच्छव-जटा-कलाप-गहने विद्योतते चन्द्रमा दिव्यस्त्री- चरणैविभूषित-तटो यावच्च मेरुर्नगः (।) यावच्चोरसि नील-नीरद-निभे विष्णुविभयुज्ज्वलां
श्रींस्तावगिरि-मूनि तिष्ठति (शिला-प्रा )साद-मुख्यो रमे( ॥)13 1. स्वस्ति। आकाश को अपने किरण जाल से प्रकाशित करते हुए और
मेघसमूह जैसे अंधकार को दूर करते हुए, उदयाचल के शिखरों को यात्रा से थके और भ्रान्त और चकित अश्वों की चमकती अयाल (गर्दन के बाल) से शोभित करते सूर्य की जय हो।' उदयाचल में फंसा चक्र कष्ट दूर करता है, विश्व-भवन का दीपक है, निशा-विनाश का कारण है, अपने तपे स्वर्ण जैसे रंगों वाली किरणों से जो कमलों को नूतन रमणीय बना देता है, वह सूर्य आपकी रक्षा करे। 2 जो तोरमाण के नाम से प्रसिद्ध है,
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