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प्राचीन भारतीय अभिलेख
10. अपने भुजबल से सारे (शत्रु रूप) कण्टक उखाड़ फेंके। 16
उसमें अत्यंत शक्तिशाली पुत्र चन्द्रक हुआ जो तेजस्वी, त्यगी तथा युद्ध में शत्रुओं के लिये असह्य था। 17
उससे अप्रतिहत शक्तिशाली पुत्र शिलुक हुआ जिसने 11. स्रवणी तथा वल्ल देश की सदा के लिये सीमा बना दी। 18
वल्लमण्डल के स्वामी भट्टिक देवराज को तत्काल भूमि पर गिराकर, छत्र (आदि)) का चिह्न प्राप्त कर लिया। 19
तथा जिसने त्रेता तीर्थ में छोटा तालाब एवं मण्डी बनवायी। 12. सिद्धेश्वर महादेव का समुन्नत मंदिर भी बनवाया। 20
तब श्रीशीलुक से श्रेष्ठ पुत्र श्रीमान् झोट उत्पन्न हुआ जिसने राज्यसुख भोगकर गंगा का सेवन किया। 21
उससे तपस्वी वृत्ति का शक्तिशाली (पुत्र) भिल्लादित्य हुआ 13. जिसने यौवन में राज्य कर पुनः उसे पुत्र को सौंप दिया। 22
तब जाकर अठारह वर्ष गंगाद्वार या हरिद्वार में रहा एवं अन्त में आहार त्याग
कर स्वर्ग लोक सिधारा। उससे भी मेधावी पुत्र 14. श्रीयुत कक्क हुआ जिसने मुद्गगिरि (मुंगेर) के रणक्षेत्र में गौडों के साथ
(युद्ध करते हुए) यश प्राप्त किया। 24 जो छन्द, व्याकरण, तर्क, ज्योतिष (आदि) शास्त्र तथा कला से युक्त था तथा जिसका सर्वभाषा कवित्व सुप्रथित एवं अत्यंत विलक्षण था। 25
भट्टि के शुद्ध 15. वंश वाली महारानी श्रीमती पद्मिनी में इस वक्क नृप से श्री बाउक
(नामक) पुत्र उत्पन्न हुआ। 26
नन्दावल्ल को मारकर, भूअकूप पहुंचे हुए शत्रु के विशाल सैन्य को देखकर 16. अपने पक्ष के ब्राह्मण राजा के कुल में उत्पन्न प्रतिहार नृपों को भागते
(रणक्षेत्र छोड़ते) हुए देखकर उन्हें धिक्कारते हुए वहां अकेले बाउक ने अपने यश को प्रकट किया। उत्साह सम्पन्न होते हुए मयूर को मारने के पश्चात् आयुध से ही नर-हरिणों को मार डाला। 27
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