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प्राचीन भारतीय अभिलेख
7. उसी का पुत्र यह यशस्वी नरेश हे जो अपने पिता के चरण-कमलों के
निकट निवास करता है। 1 जो लोक में भुजबल से सम्पन्न एवं गुप्त वंश का अद्वितीय वीर है, जिसका
अमिट प्रताप प्रसिद्ध है 8. तथा जिसका नाम स्कन्दगुप्त है। सच्चरित्र सम्पन्न जनों के गुणशाली
आचरण को अपनाकर वह निर्मल अन्तरात्मा वाला नरेश और भी विनीत हो
गया ? 2 9. विनय तथा शक्ति से क्रमशः प्राप्त विक्रम से प्रतिदिन संयुक्त रहने से उद्यत
शत्रु
के दमनके विषय में कार्यवाही के लिये दक्षता अर्जित की। 3 __ अपने स्थान से विचलित कुललक्ष्मी को पुनः प्राप्त करने को उद्यत जिस
स्कन्दगुप्त ने धरती के बिछोने पर रात व्यतीत की तथा पर्याप्त रूप से 11. प्रवृद्ध शक्ति तथा कोष वाले पुष्यमित्रों को जीतकर नरेश ने पादपीठ पर पुनः
अपना बांया पैर जमाया (स्थापित किया)। 4 (शत्रुओं) को बलपूर्वक नष्ट करने में अनुपम शस्त्र तथा प्रताप, समुचित
नम्रता 12. धैर्य तथा शौर्य से प्रथित, शुभ्र चरित आदि से सम्पन्न जिस नरेश की कीर्ति
के गीत बालकों सहित समस्त, संतुष्ट प्रजा जनों के द्वारा हर दिशा में गाये जा रहे हैं। 5
पिता के दिवंगत होने पर 13. अपने बाहुबल से शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर, निमग्न (ध्वस्त) वंश लक्ष्मी
को पुनः प्रतिष्ठित कर, 'जीत गये' इस संतोष के साथ, यह राजा; शत्रुओं को नष्ट करने वाले कृष्ण के समान (सुख के) आंसू से पूरित नयनों वाली
अपनी माता देवकी के पास पहुंचे। 6 14. अपने सैन्य बल से डगमगाते (कांपते, अपने स्थान से च्युत होते) वंश को
जिसने स्थिरता प्रदान की, बाहुओं से पृथ्वी को जीतकर तथा विजित दुःखी
नृपों पर अनुकम्पा करके भी न तो उद्धत हुआ तथा न अहंकारी 15. उसकी कान्ति प्रतिदिन बढ़ रही थी तथा बन्दी (चारण) लोग गीत तथा
स्तुतियों से जिसे आर्यता (श्रेष्ठता) प्रदान कर रहे थे। 7
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