________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भानुगुप्त का एरण स्तम्भ लेख
135
1. 2.
4.
ओम्। (गुप्त) संवत् 191 के श्रावण के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को संवत् 100 (+) 90 (+) 1 (=101) 1 श्रावण वदि 7. . . .वंश से उत्पन्न. . . . राजा के नाम से प्रसिद्ध था। उसका अत्यन्त प्रचण्ड (तेजस्वी) राजा माधव नामक पुत्र था। 1 गोपराज उसके पुत्र का नाम जो अत्यंत सम्पन्न है तथा जिसके पौरुष प्रसिद्ध है। वह शरभराज का दौहित्र तथा अपने वंश का आभूषण है। 2 जगत् में अपनी वीरता के लिय प्रसिद्ध श्री भानुगुप्त अर्जुन के समान अत्यंत वीर तथा महान् है। उसी के साथ गोपराज मित्रता में अनुसरण कर यहां चला आया। 3 अत्यंत प्रसिद्ध युद्ध कर दिव्य नरेश के समान वह स्वर्ग गया। जिसकी श्रद्धामयी, पति में अनुरक्त सुंदरी प्रिय भार्या (अपने मृत पति के शव से) आलिङ्गित हो (लिपट) कर (चिता) अग्नि में चली (सती हो) गयी। 4
7.
For Private And Personal Use Only