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लाभों का उपदेश हमने पूर्वजों से सुन रक्खा है उससे, अथवा पुराने समय से अपने कुटुम्बियों में इसके पालन करने की रूढ़ि प्रचलित रहने से, तथा श्रायुर्वेद में इसकी लुभाने वाली प्रशंसायें जो आजकल कभी किसी अवसर पर केवल प्रमाण के तौर पर सुनाई पड़ती है, उससे पथ्य के शरण में हम लोग जाते हैं। (भले हो जाय)-परन्तु केवल खान, पान का अधूरा और वह भी इतना संकुचित कि जो कभी कभी तो उल्टा अपथ्य के रूप में अपना प्रभाव करता है, असल में वास्तविक पथ्य नहीं है ; किन्तु पथ्य के नाम से केवल शरीर को एक प्रकार श्रावश्यक वस्तुओं के उपयोग करने से भी वंचित रखना, और वृथा ही कष्ट देना है। पथ्य का आविष्कार भारत में हुआ है___ हम लोगों के लिये यह एक प्रसन्नता की बात है कि पथ्य की मुख्य खोज हमारे इसी देश में हुई है । इस विषय पर जितना प्रकाश श्रव तक संसार में हुआ समझा जाता है, उसमें हमारे ऋषि प्रणीत आयुर्वेद का नाम अग्रणीय है। ( दवाई के साथ सिद्ध पथ्य आयुर्वेद का महान गौरव है, जगत् के किसी भी चिकित्सा शास्त्र में इस भांति पथ्ययुक्त भैषज्य नहीं देखा है। पथ्य प्रयोग के विषय में पाश्चात्य चिकित्सा आयुर्वेद से कहीं नीचे है यह बात ज़ोर से कही जा सकती है-मद्रास वैध सम्मेलन के सभापति के वाक्य-)। इस विषय में हमारे यहां साधारण वस्तु के लिये इतना अनुभव किया गया है, कि आज के उच्च कोटि के वैज्ञानिक और प्रथक्करण करने वाले भी उस तह तक नहीं पहुंच सके हैं। किन्तु खेद है कि हम आयुर्वेद के भक्त बनते हुये भी अज्ञान के कारण उचित और आवश्यक पथ्य को न रख कर अपने
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