________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ४ ) सर्दी की मौसिम में इसके अाक्रमण प्रायः हुआ करते हैं अतः हवा ज़ोर से ठंडी चलती हो उस समय मुंह से ठण्डी सांस नहीं लेना चाहिये किन्तु नाक से श्वास लेना चाहिये । छाती को ढकी रखना चाहिये। ऊनके कपड़े पहिनना चाहिये। रात को आंगन में न सोना चाहिये । सीलवाली जगह में नहीं रहना चाहिये । गले में गलपट लपेरना चाहिये । युकलिप्स तैल सूंघना चाहिये । जिन्हें न्यूमोनिया बार बार होता हो उन्हें सर्दी से सदा बचते रहना चाहिये । गर्म जल में थोड़ा नमक मिला कर नाक को भीतर से धोना चाहिये तथा कुल्ले भी करना चाहिये।
प्रपथ्य
पुराना ज्वर-जीर्ण ज्वर ।
Hectic Fever. पथ्य की सख्ती बहुत नहीं रखनी चाहिये, केवल इतना ध्यान रखा जावे कि पाचन शक्ति पर ज़ोर पड़े वैसा खान पान न किया जावे। ठंडी का प्रबन्ध रखें।
पथ्य दूध-अमृत है-पीपल अधिक भोजन । मिला कर।
भोजन पर भोजन। मुत्राफिक श्रावे वे सब गर्म खान पान। खान पान थोड़ी मात्रा में भारी भोजन। लिये जावें।
मिठाई। हरे साग।
रबडी। .फूट्स
मावा, खीर, नारंगी (दोपहर को सर्दी सीरा (अजवायन डाल कर अंगूर न हो तो ले कमो थोड़ा सा लिया भो सेव ।
जा सकता है।)
For Private And Personal Use Only