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( १६६ )
बेसण। बेसण के पदार्थ देर से पचते हैं, दस्तावर होते हैं । निर्बला. वस्था में अधिक न खाने चाहिये । मन्दाग्नि, संग्रहणी, जीर्णव्याधि, ज्वर जिस समय तेज अवस्था में हो उस समय बेसण. का उपयोग नहीं करना चाहिये, कम करना चाहिये ।
अपथ्य मन्दाग्नि सूजन संग्रहणी पाण्डु उदर
शूल बेसण का पाचन खटाई से होता है।
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मेदा।
कजी करता है। देर से पचता है। आम पैदा करता है। बीमारी में यह नुकसान करता है। इससे नाड़िये रुक जाती है, भूख पीछी बन्द हो जाती है, रोग पीछा उथला स्वाजाता है। प्रायः सभी रोगों में यह सेवन करना अपथ्य है ।जब तबियत ठोक हो तब भी कम खाना चाहिये । खाजा, पूड़ी, डोढ़ा, सीरा श्रादि सभी देर से पचते हैं।
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