Book Title: Pathya
Author(s): Punamchand Tansukh Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 187
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १६८ ) इन्द्रियों को परिश्रम बहुत करना पड़ता है उससे बुखार भाजाने में मदद मिलती है। अपथ्य उदर रोग पाण्डु मंदाग्नि संग्रहणी मूत्र कृच्छ ज्वर निर्बलावस्था पित्त विकार खारिया । बहुत गरिष्ट है। देर से पचता है। मन्दाग्नि वाले को नहीं दिया जावे । ज्वर में जब तक अन्न नहीं भाता है तब तक यह अपथ्य करता है फिर उतना नहीं परन्तु पचता नहीं है उससे बुरा असर तो होता ही है। स्वास्थ्यावस्था में भी यह लाभ और स्वाद के स्थान हानि अधिक पहुंचाता है। बीमार का पथ्य नहीं है। अपथ्य शोथ अतिसार उदर रोग पाण्डु मन्दाग्नि निर्बलावस्था जीर्णावस्था For Private And Personal Use Only

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