Book Title: Pathya
Author(s): Punamchand Tansukh Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 195
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७६ ) हींग। गर्म है । पाचक है। पेट की वायु को दूर करती है। पथ्य मंदाग्नि, शूल, उदर विकार, मेद प्लीह, प्रामदोष, कफ के रोग वात के रोग उन्माद, अपथ्य-गर्म प्रकृति वाले को, पित्त के रोगों में। गर्म मसाला । पाचक है, रुचिकर्ता है, गर्म है। पित्त के रोगों में नहीं देना चाहिये। आद्रक । आर्द्रक से साग स्वादिष्ट बनते हैं। पाचन कर्ता, उष्ण है। भोजन के पहिले सैन्धव के साथ सदा लाभकारी है। इस का साग भी बनता है और मसाले के रूप में भी उपयोग किया जाता है। पथ्य अपथ्य अरुचि, गुल्म उष्ण कंठ खासी रक्तपित्त श्वास पित्तरोग उदर विकार मूत्रकृच्छ शूल पाण्डु ज्वर For Private And Personal Use Only

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