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मानना।
(१०) समय पर निद्रा लेना। (१०) गन्दे मकान में रहना। (११) कभी कभी स्नान (११) वैद्य का कहा न
करना। अन्न शुरू करने के पश्चात्
अन्न पीछा धीरे धीरे बढ़ाया जावे। ताकीद करने से पीछो गड़बड़ होजाती है । अन्दाज़ से नहीं किन्तु रोज़ तौल कर वैद्य की इच्छानुसार अन्न लिया जावे। अधिक न खावे, भारी चीज़ न खावें।
दूध
दही छाछ मूंग की दाल साबूदाना चावलों का माड चावलो की फूली चाबल ( कभी कभी और
थोड़ा) जवार अनार नारंगी सेव एरण्ड काकड़ी कटोरी ( कुछ दिनों बाद, सजन न हो तो)
अपथ्य अधिक खाना। बार बार खाना। भारी चीजे खाना। मीठाई। जल्दी जल्दी खाना ( बिना
चबायें) अधिक घृत। खांड। सीरा, तुड़ी। प्राचार। गेहूं बारीक पीसे हुये। तूरकी दाल (कुछ दिन तक) चंवला। मटर। उड़द। वयुआ।
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