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अपना तथा अपने कुटुम्ब का जीवन जोखिम में डालना है अतः व खाने कमाने की और २ विद्यार्थी के साथ २ छूत वाली बीमारियों का ज्ञान रहना भी बहुत ज़रूरी हो गया है। कुछ लोग श्राज भी छूत वाली बीमारियों की परवाह नहीं रखते और मामूली बीमारियों की भांति इनमें भी वैसा ही रहन सहन रखते हैं पर अन्त में उन्हें उससे विशेष कष्ट उठाना पड़ता है ऐसा बहुत बार अनुभव हो चुका है अतः खाली हिम्मत रख कर ही छूत वाली बीमारियों की परवाह न रखना और मन चाहा वर्ताव करना एक बड़ी भूल है। लोगों को चाहिये कि वे इस विषय में सावधान रहें और कोई भी छूत वाली बीमारी छूट निकलने पर अपने मित्रों और कुटुम्बियों तक को सावधान होने के लिये श्रावश्यक सूचना कर दें जिससे उनके जान पहिचान वालों को भी वृथा ही कष्ट न उठाना पड़े ।
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सब से प्रथम तो रोगी को एक साफ़ मकान में अलग रखना चाहिये जहां हवा का आवागमन खूब हो । सेवा सुश्रूषा करने वाले के सिवाय घर के सब लोगों को उसके पास न बैठे रहना चाहिये | बिना ज़रूरत के बीमार के अंग को न छूना चाहिये, उसके मुंह के पास मुंह न ले जाना चाहिये और उसका मल, मूत्र, कफ, थूक, सेडा, आदि दूर फेंकवाना चाहिये, उपयोग में लाये हुये कपड़े लत्तों को गर्म पानी से उबाल कर धूप में रखने चाहिये और मकान को पुतवा देना चाहिये, कुछ समय तक उस मकान वा कमरे में किसी को उठना, बैठना, वा सोना नहीं चाहिये। ज़रूरत अनुसार छूत नाशक दवाओं से वहां की सफाई भी करानी चाहिये । रोगी को हिम्मत बढ़ानी चाहिये ।
गांव में बीमारी फैलने पर सब से अच्छा व्यक्तिगत बचाव का उपाय यही है कि कुछ समय के लिये वह स्थान छोड़ दिया
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