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( १३१ )
अच्छी तरह पोषण नहीं होते। फीडिंग बोतल (काच के बोबे ) से जो दूध बालकों को पाते हैं वे बराबर भीतर से साफ नहीं हो सकते और उससे सड़ा, बिगड़ा दूध उसमें कुछ न कुछ भीतर बना रहता है, वह पेट में जाने से श्रजीर्ण, दस्ते वा सूके का रोग पैदा करता है अतः पहिले फोडिंग बोतल को हरबार अच्छी तरह गर्म जल से धोकर फिर ताजा दूध डालकर पीना चाहिये । उसे हरबार सावधानी से साफ करना चाहिये, रबड़ की बीटी को भी अच्छी तरह साफ करनी चाहिये । दूध में मीठा मिलाने की ऐसी ज़रूरत नहीं है पर थोड़ा सा ४ । ५ महीने के बाद मिलाया जावे तो ऐसी हानि नहीं । छः मास पहिले अन्न नहीं देना चाहिये | मिठाई, जलेबी, मावे की चोज़, आदि देकर उसे रोज खाने के लिये हिलाना नहीं चाहिये, इनसे ताक़त तो नहीं
ती पर पेट में विकार हो जाता है। बच्चों के कपड़े बहुत साफ़ रखने चाहिये, श्रौढ़ने बिछाने के विस्तर भी साफ़ रहने चाहिये, गन्दे और मैले विद्वानों से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता है । कपड़े गर्म पहिनने चाहिये जिससे सर्दी का बचाव हो सर्दी में इधर उधर न फिराना चाहिये। बच्चों को रोज़ स्नान कराना चाहिये और बाहर घूमाना भी चाहिये ।
छूत वाली बीमारियाँ | (Epidemic Disease.)
आज कल हमारे देश में छूत वाली बीमारियों का भी दौर दौरा होने लगा है। श्रये वर्ष किसी न किसी बीमारी की इधर वा उधर शिकायत सुनाई पड़ती है । पहिले इनका इतना प्रकोप नहीं होता था इसलिये इनके विषय में अज्ञान रहने पर भी इतनी हानि नहीं थी पर अव जानकारी न रखना मानो
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