Book Title: Pathya
Author(s): Punamchand Tansukh Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 176
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाहिये जिस से गर्मी नहीं करे । सर्दी में पौष्टिक गुण के लिये तथा सर्दी से रक्षा पाने के लिये इसके साथ गुड़ भी खाते हैं। बाजरी गेहूं से जल्दी पचतो है। जवार । बीमार को इसका पथ्य नहीं दिया जाता है। यह रुखी और वादी करती है । अतोसार में कब्जी के लिये इसकी रोटी दो जाती है। अपथ्य संग्रहणी अतिसार वायु के रोगों में पित्त के रोगों में कब्जी में मकी। पथ्य में यह बहुत उपयोग नहीं की जाती है। वादी करती है, रखी है, देर से पचती है, पेट भारी होजाता है। घाट तथा इसका सोगरा भूख से अधिक खा लिया जाता है और उससे पेट तनीजता है, दर्द भी होता है। दही के साथ खाने से यह जल्दो पचती है, मकिया स्वादिष्ट और अन्न को रसाल है। बीमार के लिये उपयोगी नहीं । मंदाग्नि वालों को नुकसान पहुंचाता है । ज्वर में हानिकर है। बहुत लोगों का ख्याल है कि श्रासोज कार्तिक में मकिये बहुत खाने से ही बुखार श्राजाता है। गर्म २ मकिये खाकर ठण्डा पानी पीना हानिकर है। बहुत गर्म २ खाना भी दांता को नुकसान पहुंचाता है। - - - For Private And Personal Use Only

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