Book Title: Pathya
Author(s): Punamchand Tansukh Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 177
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खांसी श्वास स्वरभंग जव । पथ्य में बहुत उपयोग किया जाता है । जबका पानी अकेला वा दूध के साथ जब अन्न नहीं पचता है तब दिया जाता है । मंदाग्नि में, उध्यता में, मूत्रकृच्छ में, वमन में, तृष्णा में, इसका पानी बहुत उपयोगी है। दूध नहीं पचता है तब दूध के साथ इसका जल (Barley water) मिला कर देते हैं । प्रमेह मे जब की रोटो बहुत लाभकारी है । ग्रीष्म ऋतु में इसका पथ्य ठण्डा और शान्तिदायक समझा जाता है । धानिये इसीलिये ग्रीष्म में बहुत सेवन की जाती हैं। पथ्य कण्ठ रोग त्वचा रोग मेद रोग पीनस रक्तविकार ऊरुस्तम्भ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कफ प्रमेह मधुमेह यकृत विकार ( १५८ ) अपथ्य वायु के रोग जब नवीन ही उपयोग किये जावें । पुराने हीन वीर्य हो जाते हैं । For Private And Personal Use Only

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