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( १६१ )
अजीर्ण
उड़द । पथ्य के रूप में उड़दों का उपयोग नहीं किया जाता है। पौष्टिक है, स्नायुतंत्र-वायु के रोगों में यह विशेष लाभ कर्ता है पर पचता देर से है। शरीर को भारी करता है । मगज को ताकत देता है।
अपथ्य ताकत के लिये ( पाचन- मंदाग्नि शकि ठीक हो तो)
संग्रहणी पक्षाघात
शूल बात व्याधि
पित्तविकार दुबलावस्था
कफ वीर्य वर्धक स्नायुपीड़ा (Nerveos उदर रोग
liscase ) यकृत रोग मस्तिष्क पुष्टि वर्धक नेत्र ज्योति वर्धक धातुविकार अनिद्रा
उड़दों के लड्डू, पाक, खीर, आदि शीतकाल में ताकत के लिये उपयोग किये जाते हैं, इनसे मगज का खालीपन दूर होता है, श्राखों की ज्योति बढ़ती है, स्फूर्ति आती है। धातु विकार को दूर कर पुष्टि होती है। उड़द बहुत देर से पचने वाले पदार्थ हैं फिर इसके साथ गुड़, खांड़, बूरा, घृत मिला देने से और भी देर से पचते हैं इसीसे गुड़ खांड बूरा घत (?) और मूली विरुद्ध पदार्थ इसके माने गये हैं।
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