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मूग। दूध की भांति यह भी सब रोगों में पथ्य है, जहां दूध नहीं दिया जा सकता वहां मंग की दाल दी जाती है। यह दूध का प्रतिनिधि है । यह शक्ति वर्धक है, मांस (टिसूस) बनाता है, पचने में हलका है, स्वादिष्ट है, नाइट्रोजन भी अधिक है अतः पथ्य के उपयोगी है। मंग का पानी तोवावस्था में तथा लंघन के बाद अन्न प्रारम्भ करने के पहिले दिया जाता है फिर पतली दाल, फिर दाल और फिर रोटी की पोली फिर रोटो दी जाती है । ज्वर में यह बहुत लाभकारी है। श्राखे मंग कुछ बादो किया करते है पर दस्त बन्द करने में इनका पथ्य दिया जाता है। पथ्य
अपथ्य
थोड़ी मात्रा में यह किसी लंबन में बा लंघन के रोग में अपथ्य नहीं है। समय दूध के एवज में मूंग की दाल पथ्य में सब निकाला।
दालों में सर्वोत्तम दाल अतिलार
समझी जाती है। कफ नेत्र रोग कास
पथ्य
ज्वर
साबूदाना। जल्दी पचता है । जब अन्न नहीं पचता है उस समय साबूदाना दिया जाता है। जीर्ण निर्वलरोगो को यह सुग्राफिक ठोक श्राता है। ज्वर में भो इसका सेवन कराया जाता है। रोगो को
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