________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ११३ ) चाहिये पर स्नान के बाद अङ्ग को भले प्रकार मर्दन करके पोछना चाहिये । वाष्पस्नान इसमें विशेष लाभदायक है। सूखे स्थान में रहना चाहिये। जहां एक सी ऋतु रहती हो वहां अधिक समय तक निवास करना चाहिये । गर्मी से एक दम सर्दी में और सर्दी से एक दम गर्मी में नहीं जाना चाहिये, सर्दी से बचाव रखना चाहिये , ठण्ड न लगने पाये। इसकी सम्हाल रखी जावे। गर्म कपड़े पहिनेजावें ब्रह्मचर्य का पालन बहुत ज़रूरी है । इस रोग में सब काम नियम पूर्वक होने चाहिये । निम्न चार विषय पथ्य को लेकर सदा ध्यान में रखने चाहिये :
(१) निर्यामत-आहार । (२) नियत समय पर-शयन । (३) यथा समय-स्नान । (४) यथोचित व्यायाम । पथ्य
अपथ्य
खांड़ कम बारीक वाटा
श्राटा (तीव्र रोग में) ताजे फल एरण्ड काकड़ी
स्निग्ध पदार्थ धृत
तैल पूर्ण विश्राम
तैल वाले पदार्थ अच्छे कपड़े पहिनना স্থলি अच्छी हवा सेवन करना गर्म मसाला
आराम होते ही बाहर घूमने
जाना।
मैदा
For Private And Personal Use Only