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( १२५ ) सर्दी से बचाव रखना चाहिये । हवा कम आवे पर एकदम बन्द नहीं कर देनी चाहिये। उजियाला भी आते रहना जरूरी है। लोग खिड़कियों के परदे आदि बांध कर हवा विलकुल रोक देते हैं पर स्वास्थ्य की वृष्टि से यह अच्छा नहीं । सर्दी से बचने के लिये हवा को भी रोक देना अच्छा नहीं। धधकते कोयलों की सीगड़ी भीतर नहीं रखनी चाहिये । पथ्य बहुत भारी वस्तु नहीं देनी चाहिये । प्रारम्भ में लंघन कराकर अजवायन देना चाहिये, पीपलामूल देना चाहिये, दूध देना लाभ कारी है, ५।७ दिन बाद हलका अन्न दूध सेवन करना चाहिये, तेल की मालिस करानी चाहिये, धूप कमरे में रोज कराना चाहिये । बात व्याधि में कहा पथ्य कुछ दिन तक सेवन कराना चाहिये।
मैदा, मैदे की मिठाई, मावा, खोर, खटाई, मूला, ठंडी चीज काकड़ौ, सीरा पूड़ी, वगैर नहीं खाने चाहिये।
प्रारम्भ में कुछ दिन जल उबाला देना चाहिये।
. कब्जी ।
Constipation. रोज जुलाव लेना अच्छा नहीं। फूटस, हरे साग, नीबु नारंगो, खजूर आदि का सेवन अधिक करना चाहिये । बिना छाना पाटा खाना चाहिये। चोपड़ चंदलिया कजी को दूर करते हैं । इस सम्बन्ध में हमारे मित्र श्रीयुत पं० हनुमत्प्रसाद जो वैध बंबई Co. मारवाड़ी औषधालय कालबा देवी रोड ने 'मलावरोध चिकित्सा' नामक एक पुस्तक बड़ी अच्छी लिखी है उसे पढ़ना चाहिये मूल्य ।। है । नीचे मलावरोध नाशककुछ सौम्य औषधिय प्रकाशित की जाती हैं-आशा है पाठक गण जरूरत के समय सेवन कर लाभ उठावेंगे।
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