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( १२४ ) स्नान करना, ब्रह्मचर्य रखना, जननेन्द्रिय को सुबह सांम ठण्डे पानी से खूब साफ धोना, स्वच्छ हवा सेवन, ठंडे पानी में बैठना, दस्त साफ श्रावे वैसा प्रयत्न रखना और ताकत की दवा लेना उपयोगी है। इस रोग का इलाज और विशेष पथ्य 'रजस्वला सम्बन्धी बीमारिये और उनसे बचने का उपाय' नामक पुस्थक में हमने विस्तार से कहा है अतः उसे देखें।
कुसुवावड़ ।
Abortion. सुवावड़ की भांति परहेज़ रखना, पर कुछ कम दिन रखना चाहिये । स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दिया जावे। दूध हितकर है । ठण्ड न पहूंचे कैसे मकान में रखना चाहिये पर जहां हवा पाती ही न हो, उजियाला न हो, वहां रखना नुकसान पहुंचाता है। कितनी ही स्त्रियों को कुसुवावड़ की आदत पड़ जाती है । और बार बार दो चार महीनों का गर्भ गिर पड़ता है अतः जिसे एकवार कुसुवावड़ हुई हो उसे भविष्य में फिर न हो इसकी सावधानी रखनी चाहिये । गर्भाशय के भीतर आवल ( ? ) आदि सब साफ निकल गये हों इसकी सम्हाल रखी जावे।
सुवावड़।
Delivery. बात और कफ नाश करने वाले व्यवहार तथा खान पान सेवन करने चाहिये। स्वच्छता खूब रखनी चाहिये । श्रौढ़ने विछाने के लिये विस्तर साफ और आवश्यकतानुसार हो।
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