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पापड़ रहन सहन(२) सूखी हवा में रहना। (२) छाती पर सेक करना (३) मौजे पहिने रखना। हवा बदलने जाना।
रात्रि में बहुत भोजन ठण्डा जल (३) उण्डो तथा सील वालो जगह में रहना। (२) दिन में सोना। (३) कपड़ों से छाती वगैर अंग बराबर ढके न रखना। (४) ठण्डी हवा श्वास में लेना।
श्वास । (Asthina.) ज्वर में तथा कास में कहा हुश्रा पथ्य पालन करना। भूख हो उससे कुछ कम खाना, अजीर्ण न हो जाय इसका ध्यान रखना चाहिये । जब श्वास का दौरा न हो उन दिनों में व्यायाम करना चाहिये । सर्दी से बचाव रखना चाहिये । गर्म हवा में रहना चाहिये। छाती के कपड़े ढोले रखने चाहिये। स्नान गर्म पानी से की जावे। हवा ताजी लेवें, कब्ज़ी न होने देना। धूली तथा धूप से बचाव करना चाहिये ।
भारी खुराक, बासी अन्न, लूखा अन्न, दही, खांड खटाई न खाना चाहिये।
क्षय । Consumption or Phthisis. भयङ्कर रोग है । शान्ति पूर्वक धैर्य के साथ बराबर पथ्य का पालन रखना चाहिये । दवा से भी पथ्य अधिक लाभ पहुंचाता है। इस रोग में जल्दी पचे और ताकत दे लैला पथ्य
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