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हींग।
( १०७ ) देना चाहिये । अच्छी और स्वच्छ हवा में रहना और शक्ति अनुसार घूमना इसमें बहुत ज़रूरी है। पथ्य बहुत दिन तक रखना चाहिये। इस रोग में अजीर्ण हो जाय उतना खान पान न लेना चाहिये । थोड़ा २ किन्तु बार २ तीन चार घण्टे से पथ्य देना चाहिये । दूध इस रोग में अमृत है। जीवन (च्यवनप्राश अवलेह) भी बहुत लाभ पहुंचाता है। पथ्य
अपथ्य दूध न पचे तो चने के भारी चीज़ खाना। पानी के साथ । दृध अच्छी रूखी वस्तुयें सेवन करना। गाय का वा बकरी का हो) खट्टे पदार्थ। साबूदाना
विरुद्ध भोजन। यव
करेला। तूर की दाल
दहीं। थली
लाल मरिच। खीचड़ी
मूला। दलिया (दूध के साथ)
आलू । बकरी का दूध, दही, घृत । कांदा। घृत वाले पदार्थ
तैल बादाम तथा
ओलीव के सिवाय), मीठा रस
कच्चे तथा पचने में कठिन श्रान (बहुत थोड़ा)
हो ऐसे फल। खजूर
वायु करने वाले पदार्थ दाडिम
(चवला) फालसा
चनों का साग। सेव
गेहूं
माखन
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