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न्यूमोनिया-गुजराती।
त्रिदोष ज्वर Pneumonia सन्निपात की भांति पथ्य रखना चाहिये पर लङ्घन उतना रखने की जरूरत नहीं है । दूध इसमें लाभ करता है, कफ की बाधा रहने पर भी यह शक्ति दायक होने से इसका सेवन कराना ज़रूरी और लाभकारी है। दूध के स्थान मृङ्ग की दाल का पथ्य भी काम में लाया जा सकता है। दूध में सोठ, पीपल, सोडा वा चने का पानी मिला कर देना चाहिये । उपद्रव कम हो जाने पर पथ्य की सख्ती कम कर देनी चाहिये पर सर्दी से पूरा २ बचाव रखना चाहिये । ठण्ड न लग जावे नहीं तो रोग उथला खा जावेगा। दर्द पर सेंक बराबर करते रहना चाहिये। पथ्य
अपथ्य
भारी वस्तु दाल मूंग की ( उपद्रव
विना उपद्रव शान्त हुये घटने पर शक्कि रखने वाली
वा १० दिन निकले पहिले खुराक चाह, काफी,तुलसी
दूध वा दाल के सिवाय सोंठ, समय समय पर दूध
अन्न देना। के साथ देना। जल
ठण्डा जल उबाला देना चाहिये।
(१) हवा का झोका शरीर रहन सहन
पर लगने देना।
(२) गर्म कपड़े न पहिनना (१) गर्म कपड़े पहिनना।
(३) अंग खुला रखना (२) कमरे में हवा गर्म (४) बार बार उठना बैठना तथा सूखी रखना।
वा दुरटट्टी पेशाब करनेजाना।
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