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चावलो का मांड श्रामगुठलो
खराब जल पीना। जल अधिक पीना।
जल कम पीना चाहिये। उबाला हुश्रा पीना चाहिये। पानी के स्थान छाछ पी जावे।
रहन सहन(१) rest-पारामी करना। (२) पेट पर फलानेल का कपड़ा बांधना। (३) सर्दी और खास कर पेट के सर्दी न लगने पावे इसका प्रबन्ध करना।
(४) पेट मसलाना (ज़रूरत हो तो)
(१) कसरत करना। (२) स्नान करना। (३) नींद न लेना। (४) चिन्ता। (५) क्रोध। (६) मल मूत्र की शंका को रोक रखना (वेगधारण) (७) धूप में फिरना। (5) ठण्ड में बैठना। (8) मालिस करना।
श्राम की दस्ते ।
Dysentery. अतिसार में कहा हुआ पथ्य पालन करें। प्रारम्भ में हलका जुलाब लेवे । राध लोही की दस्ते धोरे २ श्राराम होती है अतः कोई भी दवा ५। ४ दिन तक लगातार लेकर देखनी चाहिये । उपवास न करावे किन्तु शक्ति रखने वाला पथ्य दिया जावे।
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