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कर लेते हैं और पेट मसलवाते हैं वा नस खटकाते हैं और पश्चात् गुड़का सीरा जलेबी वा मीठो कोई चीज़ खाना जरूरी समझते हैं पर इससे उल्टो हानि पहुंचती है । मीठे से मरोड़ा हो जाता है।
अजीर्ण-Dyspepsia अजीर्ण हो जाने पर १ वा २ टंक ( समय ) कुछ न खाना चाहिये फिर हलका भोजन करें। पुराने अजीर्ण में पथ्य का पालन कई दिन तक बराबर किया जावे पर ध्यान रहे बहुत परहेज़ रखने से नुकसान भी पहुंचता है अतः रुचि अनुसार सुपाच्य हलका भोजन किया जावे। पुराने अजीर्ण में कुपथ्य की ओर मन बहुत जोता ह पर मन को वश में रख कर भारी चीज़ नहीं खानी चाहिये।
हवा खाने (घूमने) सुबह श्याम रोज़ जाना चाहिये। विश्राम Rest करना चाहिये। पेट को भी आरामी देना चाहिये। जिन्हें बार बार अजीर्ण हो जाता हो उन्हें खान पान में खास तौर पर सुधार करना चाहिये, कम खाना चाहिए हलका और जल्दी पच जावे वैसा खाना चाहिये, फूट्स अधिक खाने चाहिए, पूड़ी मिठाई, अधिक घृत तथा मावे की वस्तु नहीं खानी चाहिये, कोई भी वस्तु हो, उसे खूब चबा चबा कर फिर पेट में उतारनी चाहिये। पथ्य
अपथ्य हलका पाचन होजावे बिगड़ा हुआ तथा भारीः वैसा आहार करना चाहिये अन्न खाना। कम खाना ( भूख हो । वासी अन्न खाना।
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