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नीबू (इच्छानुसार बालूबुखारा | कोई भो. छाछ खट्टाईले आंवला । परन्तु बहुत कठोरी । कम साग में पकी खटाई लें। घत
दही प्रकृति विरुद्ध खान पान रायता आचार (नीबू को छोड़ कर) लंघन
स्वच्छ और हलका जल रहन सहन(१) बाहर शक्ति अनुसार
हवा खाने जाना। (२) सर्दी से बचाव करना। (३) हवा बदलने दूसरे
गांव जाना (४) औषधों से सिद्ध किया
तैल मर्दन करना।
(२) सर्दी का प्रबन्ध न
रखना। (२) परिश्रम बहुत करना। (३) बन्द मकान में रहना। (३) व्यायाम, परिश्रम
करना। (४) स्नान रोज़ करना
ज्वर निर्बलावस्था । ज्वर चले जाने पर शरीर कई दिन तक निर्बल रहता है। ज्वर तो नहीं होता पर शक्ति धीरे२ पाती है। ज्वर छूट जाने पर कार्य करने की इच्छा प्रबल हो जाती है इससे कभी २ शक्ति से भी अधिक महनत हो जाती है यद्यपि उस समय उसका परिणाम मालूम नहीं पड़ता परन्तु मिथ्या बिहार के कारण कुछ समय में ज्वर पीछा बाजाता है अतः धीरे २ शक्ति अनुसार काम काज में लगना चाहिये । सर्दी का बचाव रखना चाहिये, एक दम परहेज़ को नहीं छोड़ देना चाहिये । इन दिनों
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