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( ३ ) (३) हवा कमरे में अधिक न श्रावे इसके लिये दरवाजों पर परदे लगा देना। पर रोकना नहीं। (४) सर्दी से बचाव रखना।
(५) रोगो को सम्पूर्ण बारामी देना। (६) रोगी को बहुत बोलने नहीं देना। (७) रोगो को इधर उधर करवटें बदलने तथा घड़ी २ उठने बैठने न देना। (E) कमरे में दूसरा सामान नहीं रखना। (8) भीड़ कमरे में नहीं होने देना।
(१०) रोगी को शारीरिक कुछ भी महनत न करने देना । टट्टो पेशाब भी वहीं कराना।
(१) ताव कम करने वाली
दवायें देना। ज्वर की मियाद पूरी हो जाने पर वा उपद्रव दूर हो जाने पर ज्वर का सामान्य पथ्य रखना चाहिये। जल्दी बाहर न आना चाहिये। कफ कर्ता वस्तु न खानी चाहिये।
इस बीमारी में रोगी असाध्य अवस्था में पहुंच जाने, प्राशा छोड़ देने पर भी अनेक आरोग्य हो जाते हैं अतः प्राशा, धैर्य और शान्ति से अन्तिम श्वास तक उपाचार चालू रखना चाहिये।
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