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कुपथ्य किया जावे, कभी किसी प्रकार का कुपथ्य और कभी दूसरी तरह का कुपथ्य किया जावे तो उससे जरूर तन्दुरुस्ती बिगड़ जाती है । कुपथ्य हमेशा चाहे हम किसी अवस्था में हो -हानिकर है। निरोगावस्था में कुपथ्य का फल तुरंत और प्रत्यक्ष नहीं होता पर उसका बुरा असर शरीर पर अपना प्रभाव करता रहता है और जब शरीर को (Resisting Power) सहन शक्ति घट जातो है तो थोड़े से कुपथ्य से ही अचानक तन्दुरुस्ती बिगड़ जाती है और कभी २ तो बड़ी २ बीमारिय उत्पन्न हो जाती है जो सहज में और थोड़े प्रयत्न में दूर नहीं होती। अतः हमारी खान पान सम्बन्धी भूलों से बीमार न होना पड़े इसके लिये पथ्य रखना बहुत जरूरी है
और अंधाधुन्ध जो पाया वही खा लिया पेट में अल लियाइससे बचना चाहिये।
तन्दुरुस्ती में निम्न प्रकार ले खान पान तथा रहन सहन रखना हितकर है। इनका पालन करने से सहसा रोग का आक्रमण नहीं होता है और शरीर निरोग बना रहता है।
(१) भोजन रोज नियत समय पर-टेमसर-करना चाहिये।
(२) एक बार रुचि अनुसार भोजन कर लेना चाहिये-जीम लेना चाहिये पर घड़ी में कुछ खाया और घड़ो पीछे दूसरी चीज खाई-यह ठीक नहीं, इससे पाचन शक्ति में बिगाड़ हो जाता है प्रांतोंको पारामी नहीं मिलती और धीरे २ कमजोर होकर वे मंदाग्नि करोग उत्पन्न कर देती है अतः बार बार नहीं खाना चाहिये । मारवाड़ी समाज में बालक तथा जवान लोग इस नियम का पालन नहीं करते, घे बाजार से कभी कुछ और कभी कुछ खरीद कर घड़ी २ खाते रहते है पर इससे शरीर ताकत वाला होने के स्थान में कमजोर होता है । जो जब प्राथा मंह में डाल लिया रोग पैदा करता है.। .........
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