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( ६७ ) अवस्था में श३ घण्टे के अन्तर से पथ्य दिया जावे। मियादो बुखार में तथा तरुण ज्वर में चींगट तथा मीठा न दिया जावे । भारी पदार्थ भी न दिये जावें। ज्वर से श्रआमाशय में एक प्रकार का बिगाड़ उत्पन्न हो जाता है अतः खान पान की सम्हाल रखो जावे । ज्वर दूर होजाने पर भी परहेज कई दिन तक रखना चाहिये, स्नान, ठंरी हवा का सेवन, अधिक घूमना। भारी चीजें खाना, परिश्रम करना आदि सब ताकत पीछी न आ जावे तब तक सेवन करना कुपथ्य है। पथ्य
अपथ्य दूध-कफ ज्वर हो तो भारी अन्न। नहीं अथवा उष्ण दवाओं स्निग्ध भोजन के साथ, साधारण अवस्था
मीठाई। में थोड़ी खांड़ मिला ली अधिक घृत मिली चीजें जावे, तुलसी, साठ, पीपल सीजती में घृत मिलाई केसर, दालचीनी, व जव वस्तुयें। के पानी के साथ लिया छाछ। जावे।
खटाई (वमन व तृषा के हलका अन्न।
उपद्रव के बिना।) कम भोजन।
अतिभोजन । मंग की दाल (बिना प्रकृति विरुद्ध भोजन। धोई)।
ठंडा बासी भोजन । साबूदाना।
पूड़ी। जव का पानी।
कचौड़ी (ताव उतर जाने चावल (कफ हो तो नहीं) पर रुचि के लिये थोड़ी दलिया लूखा
सी कभी ली भी जा सकती खिचड़ी लूखी थुली
ठंडी चीजें खाना।
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