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रत के रोगी को कभी भीतर और कभी बाहर न भाना चाहिये)। (१२) रोगी को प्रसन्न रखना। (१३) रोगो के साथ मृदु व्यवहार तथा मिष्ट भाषण करना चाहिये यदि वह कुपथ्य कर भी ले तो उसे कटु वाक्य कहना वा धमकाना वा डराना नहीं चाहिये किन्त, समझाना चाहिये।
सर्व ज्वर-FEVER. सामान्य पथ्य में जो २ खाद्य पदार्थ बतलाये हैं उनमें से अनेक द्रव्य ज्वर में विचार के साथ उपयोग किये जा सकते
ज्वर के प्रारम्भ में ११२ टक लंघन किया जावे तो अच्छा है। लंघन से रोग के कारण दूर हो जाते हैं। लंघन शकि अनुसार किया जावे, जो गुण लंघन से होता है वही साधारण अवस्था में कुछ कम और हलका खाने से हो जाता है । लंघन इतना नही किया जावे कि जिससे शक्ति बहुत घट जावे ( सन्निपात आदि ज्वरों में लंघन अधिक भी कराना पड़ता
ज्वर में पथ्य जहां तक हो 'तरल पदार्थ का दिया जावे तथा वह भी थोड़ा २ किन्तु बार बार दिया जावे । साधारण
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